कश्मीर पर हमले की वो कहानी, जब लगे थे 'हिंदू का जर और सिख का सिर' के नारे https://ift.tt/eA8V8J

कबायलियों की बर्बरता का वर्णन लेफ्टिनेंट जनरल एलपी सेन (Lt Gen LP Sen) ने किया है, जो हमलावरों के खिलाफ ऑपरेशन के लिए जिम्मेदार ब्रिगेड के कमांडर थे. उन्होंने लिखा कि 8 नवंबर,1947 को जब भारतीय सेना ने शहर में प्रवेश किया, तो बारामूला कबायलियों की क्रूरता और हिंसा को बयां कर रहा था. 14000 की सामान्य आबादी वाले इस शहर में बमुश्किल केवल एक हजार लोग ही बचे थे. बारामूला का हाल नादिर शाह द्वारा दिल्ली पर किए गए आक्रमण की वीभत्स यादों को दोहरा रहा था. 

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